Friday 31 July 2020

रक्तदान करें, चार लोगों की जान बचाएं।
--------------------------प्रियंका सौरभ 

विश्व रक्तदाता दिवस 14 जून को रक्त दाताओं के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है, प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान बचाने वाले सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाई जाती है।  इस दिन कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती मनाई जाती है जिह्नोने मुख्य रक्त समूहों को खोजा और रक्त समूहों के वर्गीकरण के लिए एक प्रणाली तैयार करने में मदद की। इस वर्ष  विश्व रक्तदाता दिवस अभियानों के लिए थीम की बात करें तो यह 'सेफ ब्लड सेव्स लाइव्स' है, जबकि स्लोगन की बात करें तो वह है 'खून दो और दुनिया को स्वस्थ बनाओ।

रक्तदान एक जीवन प्रदान करने वाली गतिविधि होती है, तभी रक्तदान को महादान माना जाता है। आपके रक्त की हर बूंद का कतरा किसी के जीवन का स्रोत बन सकता है। रक्त की कमी से किसी की जान न जाए,एक यूनिट रक्तदान करकर हम चार लोगों की जान बचा सकते है।  'खून दो और दुनिया को स्वस्थ बनाओ के नारे के साथ, यह अभियान स्वास्थ्य सेवा के वितरण में सुरक्षित रक्त की सार्वभौमिक आवश्यकता और सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य को प्राप्त करने में  जागरूकता बढ़ाता है। वास्तव में, यह आयोजन रक्त के अपने जीवन-रक्षक उपहारों के लिए स्वैच्छिक, अवैतनिक रक्त दाताओं को धन्यवाद देने के लिए कार्य करता है।

रक्त और रक्त उत्पादों के से हर साल लाखों लोगों की जान बचती है। रक्त और रक्त उत्पाद गर्भावस्था और प्रसव से जुड़े रक्तस्राव से पीड़ित महिलाओं के उचित प्रबंधन में आवश्यक घटक हैं; मलेरिया और कुपोषण के कारण गंभीर एनीमिया से पीड़ित बच्चे; रक्त और अस्थि मज्जा विकारों के साथ रोगियों, हीमोग्लोबिन और प्रतिरक्षा की कमी की स्थिति के  विकार; आघात, आपात स्थिति, आपदाओं और दुर्घटनाओं के शिकार; साथ ही साथ रोगियों को उन्नत चिकित्सा और शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं में हमे रक्त दान  से गुजरना पड़ता है।

भारत में 70% रक्तदान स्वैच्छिक दाता द्वारा किया जाता है और बाकी एक प्रतिस्थापन दाता से मिलता है। प्रतिस्थापन दाता में मित्र, रिश्तेदार, परिवार के सदस्य आदि शामिल होते हैं। प्रतिस्थापन दाता खतरे से खाली नहीं होते। कई अस्पताल उनके मेडिकल इतिहास की जाँच नहीं करते हैं । दाता,  रक्त दान के लिए तत्काल मांग को पूरा करने के लिए जाता है। लेकिन जल्दी में कई अस्पताल रक्त दान से सम्बंधित पूरी प्रक्रिया को अपनाये बिना ही  दूसरे को रक्त चढ़ा देते है जो कई बार जान जोखिम में डाल देता है ,इसलिए स्वैच्छिक दान के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने, दान के लिए सुविधाओं में वृद्धि और दान दाता में सुधार की आवश्यकता है।

ब्लड से जुडी एक अन्य बीमारी है  ब्लड प्रेशर यानि रक्तचाप की बीमारी इसको साइलेंट किलर भी कहा जाता है। ये एक ऐसी समस्या है जो धीरे-धीरे अपने साथ कई घातक बीमारी ले कर आता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर में हर साल हाई ब्लड प्रेशर के चलते 70 लाख मौतें होती हैं। हाई ब्लड-प्रेशर से आंखों की रोशनी कम होने लगती है उससे धुंधला दिखाई देने लगता है। हाई ब्लड-प्रेशर के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी या मोटी हो सकती है। इससे किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और खून में दूषित पदार्थ जमा होने लगते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर में सबसे ज्यादा खतरा हृदय को होता है। जब ह्वदय को संकरी या सख्त हो चुकी रक्त वाहिकाओं के कारण पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलता तो सीने में दर्द हो सकता है और अगर खून का बहाव रुक जाए तो हार्ट-अटैक भी हो सकता है। हाई ब्लड-प्रेशर में रोगी की याददाश्त पर असर हो सकता है, जिसे डिमेंशिया कहा जाता है। वहीं लो ब्लड प्रेशर से दिल की गंभीर बीमारी होती है, दिल की बीमारी से हार्ट की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिससे हार्ट पर्याप्त खून को पम्प नहीं कर पाता और हमारा बीपी लो रहने लगता है। दिल के मरीजों और एनीमिया के शिकार लो बीपी से खुद को बचाना चाहिए।

रक्तदान से सम्बंधित कुछ तथ्यों को हमेशा ध्यान रखना चाहिए जो लोगो में जागरूकता के लिए बेहद जरूरी है, विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 112.5 मिलियन यूनिट दान में प्राप्त रक्त एकत्रित किया जाता है, हालांकि ज़रूरतमंद रक्त आधान वाले कई रोगियों को सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों की पहुँच समय पर उपलब्ध नहीं होती है। स्वैच्छिक, अवैतनिक रक्त दानकर्ता बासठ देशों में सुरक्षित, सतत और सौ प्रतिशत रक्त आपूर्ति का आधार है।  दान किए गए रक्त की जीवन अवधि पैंतीस से बयालीस दिन होती है; इसलिए रक्त बैंकों में स्टॉक भरने की लगातार आवश्यकता है। स्वस्थ रक्त दाताओं की आयु 18 से 65 वर्ष के बीच होती है। एक यूनिट रक्त अपने विभिन्न घटकों में अलग होकर कई रोगियों को लाभ पहुंचा सकता है। रक्त आधान से पहले रक्त में हमेशा एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और सिफलिस की जांच की जानी चाहिए।

आज भारत में स्वैच्छिक दान के माध्यम से रक्त संग्रह बढ़ाने के लिए जागरूकता, प्रदान करने की आवश्यकता है। लोगों को रक्त दान करने, और बेहतर दाता  के लिए उपयुक्त सुविधाएं देने की भी जरूरत है। सुरक्षित और पर्याप्त रक्त प्रदान करना हर देश का अभिन्न अंग होना चाहिए। इसलिए ग्रामीण भारतीय क्षेत्रों में अधिक रक्त बैंक तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए खोलने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त सरकारी अस्पतालों, निजी अस्पतालों को रक्तदान शिविर आयोजित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने, सुरक्षित रक्त आधान सुनिश्चित करने, रक्त केंद्रों को आधारभूत संरचना प्रदान करने, भारत में मानव संसाधन विकसित करने तथा रक्त नीति बनाने और कार्यान्वित करने के लिए केंद्रीय निकाय को और ज्यादा काम करने की जरूरत है। ई-रक्त कोष को देश भर में रक्त बैंकों के काम को जोड़ने, डिजिटाइज और सुव्यवस्थित करने की पहल को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने की कोशिश करनी चाहिए और हर व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि हर सेकंड, किसी को, कहीं भी रक्त की ज़रूरत होती है। इसलिए किसी को जीवन देने के लिए रक्तदान अवश्य करें।


--  ---प्रियंका सौरभ 
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

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